tag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post4050089395919535340..comments2023-07-10T19:58:24.261+05:30Comments on शेष है अवशेष: एक सुलगती नदीशैलप्रियाhttp://www.blogger.com/profile/02923965968716034946noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-28467258088655486742009-04-21T23:03:00.000+05:302009-04-21T23:03:00.000+05:30sabki aakhon ka .....
madhumaas.---bah...sabki aakhon ka .....<br /> madhumaas.---bahut sachchi si lagi ye paktiyaan.अर्चनाhttps://www.blogger.com/profile/13916920569285303890noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-53648619837972219692009-04-20T21:00:00.000+05:302009-04-20T21:00:00.000+05:30बस यही कह पा रही हूं कि सभी रचनाओं की तरह यह भी पि...बस यही कह पा रही हूं कि सभी रचनाओं की तरह यह भी पिछली से बढ़ कर..पिछली से अधिक संवेदनशील..पिछली से ज्यादा सच्ची..पिछली से ज्यादा अपनी सी..पिछली से ज्यादा करीब है यह। साथ ही मां की कविताओं पर समानांतर चलने वालीं थीम को पकड़े हुए आपकी रचना भी अच्छा अंदाजेबयां है...Pooja Prasadhttps://www.blogger.com/profile/06905471603653467131noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-7374062970907432762009-04-20T14:39:00.000+05:302009-04-20T14:39:00.000+05:30मैं नहीं जानती,
कब से
मेरे आस-पास बहती है
एक सुलगत...मैं नहीं जानती,<br />कब से<br />मेरे आस-पास बहती है<br />एक सुलगती नदी।<br /><br />एक और अनमोल रचना पढने को मिली इस खजाने से ...भाव बहुत सुन्दर हैं इस के ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-2732357159806241042009-04-20T12:56:00.000+05:302009-04-20T12:56:00.000+05:30उस दिन
लाल पाढ़ की बनारसी साड़ी ने
चूड़ियों का जखी...उस दिन<br />लाल पाढ़ की बनारसी साड़ी ने<br />चूड़ियों का जखीरा<br />खरीदा था,<br />मगर सफेद सलवार-कुर्ते की जेब में<br />लिपस्टिक के रंग नहीं समा रहे थे।<br />मैं नहीं जानती,<br />कब से<br />मेरे आस-पास बहती है<br />एक सुलगती नदी।<br /><br /><br /><br />बेमिसाल ......अद्भुत !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-31003705923126466722009-04-20T02:10:00.000+05:302009-04-20T02:10:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचनाएं प्रेषित की हैं।आभार।बहुत सुन्दर रचनाएं प्रेषित की हैं।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.com