tag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post9029596820533000743..comments2023-07-10T19:58:24.261+05:30Comments on शेष है अवशेष: स्त्री के गीतशैलप्रियाhttp://www.blogger.com/profile/02923965968716034946noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-21299417028111225642009-02-23T15:46:00.000+05:302009-02-23T15:46:00.000+05:30बर्फ के टुकड़ों की तरहपिघलता है गीत,कांच के बर्तन ...बर्फ के टुकड़ों की तरह<BR/>पिघलता है गीत,<BR/>कांच के बर्तन में<BR/>अस्तित्वहीन होती स्त्री की तरह।<BR/><BR/>बेहद खूबसूरत शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-4808181990735422552009-02-23T10:11:00.000+05:302009-02-23T10:11:00.000+05:30बहुत सुंदर गीत आनद दाई . मेरे ब्लॉग पर पधार कर ...बहुत सुंदर गीत आनद दाई <BR/><BR/>. मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है <BR/>http://manoria.blogspot.comप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-61125326220391229092009-02-23T10:05:00.000+05:302009-02-23T10:05:00.000+05:30बहुत सुंदर गीत आनद दाई . मेरे ब्लॉग पर पधार कर ...बहुत सुंदर गीत आनद दाई <BR/><BR/>. मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है <BR/>http://manoria.blogspot.comप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-60154586792342136132009-02-21T18:01:00.000+05:302009-02-21T18:01:00.000+05:30समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : चिठ्ठी लेकर आया हूँ कोई दे...<A HREF="http://mahendra-mishra1.blogspot.com/2009/02/blog-post_2046.html#links" REL="nofollow">समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : चिठ्ठी लेकर आया हूँ कोई देख तो नही रहा है</A>बहुत अच्छा जी<BR/>आपके चिठ्ठे की चर्चा चिठ्ठीचर्चा "समयचक्र" में<BR/>महेन्द्र मिश्रसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-27765182237576555392009-02-21T09:20:00.000+05:302009-02-21T09:20:00.000+05:30समुद्र के गीत लहरों की हलचलें सुनाती हैंपहाड़ा का ...समुद्र के गीत लहरों की हलचलें सुनाती हैं<BR/>पहाड़ा का गीत<BR/>झरने सुनते हैं,<BR/>सड़कों पर बड़ी भीड़ है,<BR/>मगर स्त्री के गीत का मर्म<BR/>नहीं समझता कोई।<BR/>dil ko chu dene waali kavita haiMANVINDER BHIMBERhttps://www.blogger.com/profile/16503946466318772446noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6717807846001515667.post-78996148736196196162009-02-21T06:32:00.000+05:302009-02-21T06:32:00.000+05:30बर्फ के टुकड़ों की तरहपिघलता है गीत,कांच के बर्तन ...बर्फ के टुकड़ों की तरह<BR/>पिघलता है गीत,<BR/>कांच के बर्तन में<BR/>अस्तित्वहीन होती स्त्री की तरह।<BR/><BR/>-बहुत भावपूर्ण रचना. प्रस्तुति के लिए आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com